गृह प्रवेश की विधि

 गृह प्रवेश की पूजा 1 दिन / 3 दिन / 5 दिन की होती है I जिसकी जितने दिन की इच्छा होती है वो उतने दिन की पूजा पंडितजी से करवाता है I गृह प्रवेश करने के लिए पंडितजी से पूछकर एक शुभ तारीख निकलवाई जाती है I फिर पंडितजी से पूछकर गृह प्रवेश की पूजा में काम आने वाली सभी चीजों / सामग्री की तैयारी करके उस शुभ दिन पर गृह प्रवेश किया जाता है I

गृह प्रवेश के 1 दिन पहले किये जाने वाले काम :-

1) रात में 2 रोटी बनाकर रखते हैं I

2) 1 छोटी हांडी में दही जमाकर रखते हैं I   

3) गेरू और प्यावड़ी से घर के हर कमरे के गेट पर ( किचन के गेट पर भी ) जैसे राखी पर सूंड मांडते हैं, वैसे ही मांडा जाता है I 

4) पूजा शुरू होने के बाद घर की बहन – बेटियाँ नए घर के मेन गेट पर बन्दरवाल, तोरण और तोता टांगती हैं I इन सभी चीज़ों को टांगना बहुत शुभ माना जाता है I यह तीनो सामान बहन – बेटियाँ ही लेकर आती हैं I अगर 1 ही दिन का गृह प्रवेश कर रहे हो तो उसी दिन सुबह – सुबह बहन – बेटियाँ ये तीनो चीज़ टांग देती हैं I

5) नए घर में राती जुगा होता है I बहन – बेटी राती जुगा का थापा ( दिवाल पर देवी मांडती हैं ) लगाती  हैं I राती जुगा में देवी – देवता का गीत , जच्चा वाला गीत और पितरों का गीत गाया जाता है I राती जुगा सबके घर में नहीं होता है I किसी के घर में होता है किसी के घर में नहीं होता है I

3 जरूरी चीज़ें जिनको पुराने घर से लेकर अपने नए घर में प्रवेश करते हैं  :-

1) 1 दिन पहले रात में जो 2 रोटियाँ बनाई है उसमे गुड़ रखकर, पल्ले से ढककर पुराने घर से नए घर में ले जाते हैं I यह रोटी घर का कोई भी एक बड़ा सदस्य ( member ) लेकर जाता है I 

2) हांडी में जमाया हुआ दही लेकर जाते हैं I

3) अपने घर के मंदिर के भगवान जी की फोटो या मूर्ति लेकर जाते हैं I

ध्यान रहे – गृह प्रवेश के बाद रोटी – गुड़ और दही को गाय को खिला दिया जाता है I

 

गृह प्रवेश वाले दिन :-

1) जिसके घर का गृह प्रवेश होता है वह सबसे पहले गठजोड़े से ( जोड़े से – पति और पत्नी साथ में ) भगवान जी की पूजा करके, अपने घर के इष्ट देव और कुल देवी की प्रार्थना करके,  ऊपर लिखी हुई तीनों चीज़ों को लेकर, चन्दुआ ( किसी साड़ी / ओढ़ना के चारों कोनो को लड़कियाँ पकड़ती हैं ) के नीचे से थाल / घंटा बजाते हुए, गीत और बधावा गाते हुए पुराने घर / मंदिर से निकलते हैं और नए घर में प्रवेश करते हैं I

गीत में देवी – देवता का गीत , जच्चा वाला गीत , पितरों का गीत और बधावा गाया जाता है I अगर मिसरानी दादी गीत गा रही है तो गृह प्रवेश करने के बाद उन्हें दक्षिणा देकर विदा किया जाता है I दक्षिणा में कपड़े और रूपए दिए जाते हैं I

2) जब अपने नए घर के दरवाजे पर पहुँचते हैं तब घर का कोई नौकर नए घर के दरवाजे पर दोघड़ ( 1 लोटे में जल भर कर उसके उपर 1 और लोटा जल से भरकर रखते है ) लेकर खड़ा रहता है I  

3) फिर सबसे पहले 1 कुंवारी कन्या नए घर में प्रवेश करती है I कन्या को दक्षिणा के रूप में नए कपड़े और रूपए दिए जाते हैं I उसके बाद 1 गाय की बछिया प्रवेश करती है I अगर बछिया नहीं मिले तो कोई बात नहीं I

4) फिर घर की बहन – बेटियाँ ” बाड़ ढुकाई “ की रस्म करती हैं I आरता करती हैं I टीका करती हैं I फिर बहन – बेटियों को बाड़ ढुकाई का नेग दिया जाता है I

5) इसके बाद जिनके घर का गृह प्रवेश है वो अपने नए घर के गेट पर साथिया और छाबड़ी बनाकर नए घर में प्रवेश करते हैं I 

6) फिर नीम की पत्तियों का बन्दरवाल बनाकर घर के हर कमरे के गेट पर लगाते हैं I अगर 3 या फिर 5 दिन की पूजा कर रहे हैं तो एक दिन पहले भी लगा सकते हैं I

7) फिर पंडितजी नए घर में हवन – पूजा कराते हैं I जो पूजा में बैठते हैं वह नए कपड़े पहनते हैं I ध्यान रहे – अपने नए कपड़े पहनने से पहले अपने घर के पीतर के लिए नए कपड़े निकालते हैं I

पंडितजी चकला, बेलन, सिलबट्टा, गैस, झाड़ू, डगरा और हमारे रूम की चादर की भी पूजा कराते हैं I पूजा में नाव ( boat ) की कांटी ( nail ) और नदी की काई रखना बहुत ज्यादा शुभ होता है क्यूँकी ऐसा माना जाता है कि भगवान राम नाव में बैठ कर नदी पार किये थे I

8) हवन के बाद और शाम होने से पहले अपने गैस पर सबसे पहले चूरमा बनाते हैं I भगवान जी को चूरमा का भोग लगाते हैं और सभी लोगों में चूरमा का प्रसाद बाँट देते हैं I  

9) फिर रसोई की अछूती निकलती है I इसमें खाना खाने से पहले पितरों के नाम का खाना निकाला जाता है जो कि पंडितों / ब्राह्मणों को दे दिया जाता है I  

10) फिर सभी बड़े लोगों की मिलाई होती है I जवांई का तिलक होता है I बहन -बेटियों के ससुराल से अगर कोई बड़ा आया है तो उसकी भी मिलाई होती है I

11) गृह प्रवेश हो जाने के बाद अपने घर की बहन – बेटियों की अच्छे से बिदाई की जाती है I उन्हें अपनी इच्छानुसार रूपए, कपड़े और मिठाई देते हैं I